सोचो, खुश रहो..
ज़िंदगी के रास्तें उतने ही आसान होते जितने वो सुननें में लगते हैं तो शायद एक सूखे पत्ते की तरह बहकर इसे जिया जा सकता था। काश ऐसा होता। लेकिन ऐसा नहीं है। क़ुछ रास्तों पर चलते वक़्त हमें सोच समझकर क़ुछ अलग रास्तों को भूल जाना पड़ता हैं, या उन्हें अनदेखा करना होता हैं। लेकिन ये कितना ज़रूरी होता हैं ये तब नहीं समझता जितना आगे जाके हम पीछे मुड़कर देखने के बाद समझ आता हैं। ख़ैर, कुछ न कुछ छूट ही जाता हैं ऐसा कहकर हमें ख़ुद को उस हालात में सँवरना पड़ता हैं लेकिन इसका मतलब ये बिल्कुल नहीं होता कि हमें उन रास्तों की परवाह नहीं हैं।
बात सिर्फ़ इतनी ही नहीं हैं.. क़ुछ लोग, कुछ घटनाएं, कुछ पल, क़ुछ चीज़ें हमें ऐसेही रास्तों की तरह ही छोड़नी पड़ती हैं लेकिन तब छोड़ते वक़्त या हम उससें अलग होते वक़्त इस बात का पता नहीं चलता कि वो हमारी ज़िंदगी में कितनी अहमियत रखते हैं। हर पल, हर चीज़ हर इंसान यहां आपको आपकी ज़िंदगी और ख़ुशनुमां बनाने के लिए हैं। उनको संभलना उनसे जुड़कर रहना सीखें। क्या पता कब कौन कहाँ साथ छोड़ दे।
किसीने सच ही कहाँ हैं..
"उजालें अपनीं यादों के हमारें साथ रहने दो,
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए.."
~ माऊली
१५.०६.२०
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